Saturday, August 1, 2009

यादे !

याद आता है वो गोरखपुरवो गोलघर का समां इंदिरा बालविहार की चाटवो अग्ग्रवाल की आइसक्रीम उसमें थी कुछ बातवो गणेश की मिठाई वो चौधरी का डोसावो जलेबी के साथ जाएके का समोसावो bike का सफर वो तारा मंडल की हवावो व पार्क की रौनक वो उर्दू बाज़ार का समांवो हॉल मैं tt और हारने पर झगडावो न जाना क्लास मैं कभी और रहना पढाई से दूरयाद आता है वो गोरखपुरवो जनवरी की कड़ाके की सर्दी ,वो बरिशोऔ के महीनेवो गरमी के दिन ,वो मस्तानी शाम .........जय गोरखपुर ......

Sunday, May 24, 2009

भीड़ से भरे बस स्टेड़ पर, भीड़ से दूर बस का इंतजार करता कोई लड़का,
हो या ना हो वो मेरा दोस्त ही होगा।
रुकी बस में ना चढ़कर, चलती हुई बस में ही चढ़ता हुआ कोई लड़का
हो या ना हो वो मेरा दोस्त ही होगा।
बस की खाली सीटें होने के बावजूद पीछे खिड़की के पास खड़ा कोई लड़का,
हो या ना हो वो मेरा दोस्त ही होगा।
सड़क की चढ़ाई पर रिक्शे से उतर कर, पीछे से धक्का लगाता कोई लड़का,
हो या ना हो वो मेरा दोस्त ही होगा।

ज़िंदगी की भूलभुलैया सी गलियों में अगर कहीं टकरा जाए तो उसे कहना
"काली माई की गली के नुक्कड़ पर एक छोकरा उसका इंतजार करता है।"
by ---सुशील कुमार छौक्कर