Saturday, August 1, 2009

यादे !

याद आता है वो गोरखपुरवो गोलघर का समां इंदिरा बालविहार की चाटवो अग्ग्रवाल की आइसक्रीम उसमें थी कुछ बातवो गणेश की मिठाई वो चौधरी का डोसावो जलेबी के साथ जाएके का समोसावो bike का सफर वो तारा मंडल की हवावो व पार्क की रौनक वो उर्दू बाज़ार का समांवो हॉल मैं tt और हारने पर झगडावो न जाना क्लास मैं कभी और रहना पढाई से दूरयाद आता है वो गोरखपुरवो जनवरी की कड़ाके की सर्दी ,वो बरिशोऔ के महीनेवो गरमी के दिन ,वो मस्तानी शाम .........जय गोरखपुर ......

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